इज़राइल ने ईरान के परमाणु संयंत्रों पर हमला क्यों किया? पूरी जानकारी

कई सालों से इज़राइल, ईरान के परमाणु कार्यक्रम को लेकर चेतावनी देता आया था। 13 जून, 2025 को यह धमकी हकीकत बन गई। इज़राइली सेना (IDF) ने “ऑपरेशन राइजिंग लायन” के तहत ईरान के परमाणु सुविधाओं, सैन्य ठिकानों और मिसाइल केंद्रों पर बड़े पैमाने पर हवाई हमले किए। इज़राइल ने इस कार्रवाई को “पूर्व-emptive स्ट्राइक” बताया, जिसका मकसद ईरान के “परमाणु खतरे” को खत्म करना था।

ईरान का बढ़ता परमाणु खतरा: हमले की वजह

इज़राइल ने यह फैसला क्यों लिया? जानिए वो अहम वजहें: – परमाणु बम के लिए यूरेनियम ईरान के पास अब 9-15 परमाणु बम बनाने लायक यूरेनियम है, जिसकी पुष्टि IAEA (अंतरराष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी) ने भी की। –

बम बनाने की तैयारी . प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने खुलासा किया कि ईरान गुपचुप तरीके से परमाणु बम बनाने की कोशिश कर रहा है।

मिसाइलों का खतरा ईरान के पास इतनी मिसाइलें हैं कि वह कुछ ही मिनटों में इज़राइल पर हमला कर सकता है। अगले 6 साल में वह 20,000 और मिसाइलें बनाने की योजना बना रहा है।

IDF चीफ ऑफ स्टाफ एयाल ज़मीर ने इस हमले को “एक जरूरी कदमबताया, ताकि ईरान “परमाणु बम बनाने की कगार पर न पहुंच जाए”।

हमला अभी क्यों? समय और रणनीति

  1. खुफिया जानकारी: इज़राइल को ईरान के परमाणु और सैन्य नेटवर्क की गोपनीय जानकारी मिली थी।
  2. ईरान की कमजोर स्थिति: 2024 में ईरान के मिसाइल हमले विफल होने के बाद, इज़राइल ने इस मौके का फायदा उठाया।
  3. वार्ता विफल: अमेरिका-ईरान वार्ता टूट गई, क्योंकि ईरान ने यूरेनियम संवर्धन रोकने से इनकार कर दिया।

हमले के मुख्य लक्ष्य

परमाणु कार्यक्रम रोकना नटंज और फोर्डो जैसे यूरेनियम संवर्धन केंद्रों को निशाना बनाया गया।

सैन्य नेतृत्व को ठिकाने लगाना ईरानी सेना के कई बड़े जनरल मारे गए , जिससे उनकी जवाबी कार्रवाई की क्षमता कमजोर हुई।

संदेश देना: नेतन्याहू ने साफ किया कि यह ईरान सरकार को हटाने के लिए नहीं , बल्कि इज़राइल की सुरक्षा के लिए जरूरी कदम था।

अमेरिका की भूमिका और ईरान की प्रतिक्रिया

ट्रंप की चुप्पी: अमेरिका ने खुद को दूर रखा, लेकिन ट्रंप ने ईरान को “समझौता करने” की चेतावनी दी। –

ईरान का जवाब: ईरान ने 100+ ड्रोन और मिसाइलों से इज़राइल पर हमला किया, जिन्हें अमेरिकी मदद से रोक लिया गया।

अब क्या होगा?

लंबी लड़ाई: नेतन्याहू ने चेतावनी दी कि “मुश्किल दिन आने वाले हैं” I

वैश्विक असर: इस हमले से तेल की कीमतें बढ़ सकती हैं और पूरे मध्य पूर्व में तनाव फैल सकता है।

मुख्य बात: > “हम आने वाली पीढ़ी के लिए यह खतरा नहीं छोड़ सकते। अगर अब नहीं acted, तो कोई और पीढ़ी नहीं बचेगी।” > —बेंजामिन नेतन्याहू .

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