“₹10 लाख की Health Policy ली… लेकिन क्लेम के वक्त सिर्फ ₹2 लाख मिले! 90% लोग करते हैं यही गलतियां – क्या आप भी उनमें से एक हैं?”

हेल्थ इंश्योरेंस लेते समय ध्यान रखने योग्य बातें

हेल्थ इंश्योरेंस लेते समय ध्यान रखने योग्य 10 जरूरी बातें

हेल्थ इंश्योरेंस खरीदना एक महत्वपूर्ण निर्णय है, लेकिन अगर आप इसके जरूरी पॉइंट्स पर ध्यान नहीं देते, तो क्लेम के वक्त पछताना पड़ सकता है। नीचे 10 जरूरी Point को विस्तार से समझाया गया है ताकि आप समझदारी से सही पॉलिसी चुन सकें।

1. कैशलेस हॉस्पिटल नेटवर्क ज़रूर चेक करें

हेल्थ इंश्योरेंस लेते वक्त ये जरूर देखें कि उस कंपनी का कैशलेस हॉस्पिटल नेटवर्क कितना बड़ा है और क्या आपके शहर के प्रमुख हॉस्पिटल उसमें शामिल हैं या नहीं। कैशलेस सुविधा से इलाज के समय पैसे नहीं देने पड़ते, बीमा कंपनी सीधे भुगतान करती है। अगर आपके पसंदीदा हॉस्पिटल नेटवर्क में नहीं हैं, तो क्लेम के लिए पहले जेब से पैसे देने होंगे। अधिकतर कंपनियां वेबसाइट और ऐप पर नेटवर्क हॉस्पिटल लिस्ट देती हैं। इसे ध्यान से देखकर पॉलिसी चुनें।

2. वेटिंग पीरियड और बीमारियों की कवरिंग समय सीमा

बीमा लेते ही सब बीमारियां कवर नहीं होतीं। पॉलिसी शुरू होने के पहले 30 दिनों तक कोई भी बीमारी कवर नहीं होती (Accident को छोड़कर)। कुछ बीमारियों जैसे डायबिटीज, हर्निया के लिए 2-4 साल का वेटिंग पीरियड होता है। अगर कोई बीमारी पहले से है (pre-existing), तो उसे कब से कवर किया जाएगा, ये अच्छे से जान लें। इस नियम को नजरअंदाज करने से क्लेम के समय परेशानी हो सकती है।

3. रूम रेंट लिमिट और हॉस्पिटल खर्च की सीमा

बीमा राशि के साथ-साथ ये देखना जरूरी है कि रूम रेंट की अधिकतम लिमिट क्या है। यदि आपकी पॉलिसी ₹3000/day तक की अनुमति देती है और आप ₹6000 वाले रूम में एडमिट होते हैं, तो बाकी सभी खर्च भी आधे ही कवर होंगे। इसको Proportionate Deduction कहते हैं। इससे क्लेम कट सकता है। कुछ पॉलिसीज में रूम रेंट कैपिंग नहीं होती, जो बेहतर रहती हैं।

4. क्या-क्या चीजें कवर नहीं होतीं (Exclusions)

कई ट्रीटमेंट्स जैसे Cosmetic Surgery, Weight Loss, IVF, HIV/AIDS, dental इलाज आदि अक्सर हेल्थ पॉलिसी में कवर नहीं होते। ये Exclusion लिस्ट में साफ लिखा होता है। पॉलिसी लेने से पहले Exclusions को जरूर पढ़ें क्योंकि यही वह जगह है जहाँ क्लेम रिजेक्ट होने की संभावना सबसे ज्यादा होती है।

5. एंट्री एज लिमिट और लाइफटाइम रिन्युएबिलिटी

कुछ पॉलिसीज 60 या 65 साल के बाद रिन्यू नहीं होतीं। इसलिए पॉलिसी खरीदते समय ये सुनिश्चित करें कि उसमें Lifetime Renewability हो। IRDAI के नए नियमों के तहत अधिकांश पॉलिसी अब लाइफटाइम रिन्यू होती हैं, फिर भी कागजों में यह जांचना जरूरी है ताकि बुढ़ापे में बीमा का सहारा बना रहे।

6. No Claim Bonus (NCB) जरूर समझें

अगर आप एक साल तक क्लेम नहीं करते तो बीमा कंपनी अगले साल बीमा राशि बढ़ा देती है या प्रीमियम में छूट देती है। इसे No Claim Bonus कहा जाता है। यह बोनस हर साल बढ़ता है, जैसे कुछ कंपनियां 5 साल में 50% तक बीमा राशि बढ़ा देती हैं। इससे बिना अतिरिक्त पैसा दिए ज्यादा कवरेज मिलता है।

7. Family Floater vs Individual Policy

फैमिली फ्लोटर में पूरी बीमा राशि सभी सदस्यों में बंटती है। यह छोटे परिवार या युवा लोगों के लिए फायदेमंद होता है। लेकिन अगर परिवार में कोई बीमार या बुजुर्ग सदस्य है तो उन्हें Individual पॉलिसी देना बेहतर रहता है। दोनों विकल्पों के फायदे-नुकसान समझकर ही फैसला लें।

8. Claim Settlement Ratio और कंपनी का ट्रैक रिकॉर्ड

Claim Settlement Ratio (CSR) यह दिखाता है कि कंपनी कितने प्रतिशत क्लेम समय पर सेटल करती है। हमेशा 90% से ऊपर CSR वाली कंपनी चुनें। IRDAI हर साल ये डेटा प्रकाशित करती है। साथ ही कंपनी की कस्टमर सर्विस और क्लेम प्रोसेसिंग स्पीड के बारे में ऑनलाइन रिव्यू भी देखें।

9. Pre & Post Hospitalization Cover

अच्छी पॉलिसी सिर्फ हॉस्पिटल खर्च ही नहीं बल्कि भर्ती से पहले और डिस्चार्ज के बाद का खर्च भी कवर करती है। आमतौर पर 30 दिन पहले और 60 दिन बाद का खर्च पॉलिसी में शामिल होता है। इसमें टेस्ट, डॉक्टर कंसल्टेशन, दवाएं आदि शामिल होते हैं। इसे जरूर चेक करें।

10. क्लेम प्रोसेस, ऐप और कस्टमर सपोर्ट

कंपनी का क्लेम प्रोसेस आसान और डिजिटल होना चाहिए। क्या कंपनी की ऐप से क्लेम कर सकते हैं? क्या हेल्पलाइन 24×7 है? क्लेम जल्दी सेटल होता है या नहीं? इन सभी बातों की जानकारी लेकर ही पॉलिसी लें। वरना क्लेम के समय छोटी-छोटी परेशानियाँ बड़ी बन जाती हैं।

नोट: यदि आप अपने बजट, उम्र और जरूरत के अनुसार हेल्थ इंश्योरेंस पॉलिसी की तुलना करवाना चाहते हैं तो कमेंट में जरूर बताएं, हम आपकी मदद करेंगे।

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